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शब्द और सपने by Prakash Sharma (left) with Padamshree Kavi Surendra Dubey
शब्द और सपने by Prakash Sharma (left) with Padamshree Kavi Surendra Dubey

शब्द और सपने

शब्द और सपने

कुछ तेरे थे कुछ मेरे
शब्द और सपने
तुमने पर से प्रीत लगाई
कहां अब मेरे हैं या हैं तेरे
शब्द और सपने

मौन की चादर ओढ़े
शब्द और सपने बिखर गए
ऋतुऔं की अटखेलियों में
कहां खो गए शब्द और सपने

मौन की परिभाषा को छूने को
कुछ कहा होगा न सपनों से
कुछ कहा होगा
सपनों के श्रृंगार से

काश तुम आओ ढूंढ लायें हम
वो सब कुछ जो अपने थे
कुछ तेरे कुछ मेरे
शब्द और सपने

प्रकाश शर्मा, भारत

Prakash Sharma is a renowned poet and currently is the State Bureau Chief, Jharkhand at Lokmaya in Jamshedpur, Jharkhand.

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डरपोक हैं वोह लोग जो प्यार नहीं करते,
हौंसला चाहिए बर्बाद होने के लिए।
– सुशांत

—–

छोटे थे तब लडते थे

माँ मेरी है, माँ मेरी है

बड़े होकर लड़ते हैं

माँ तेरी है, माँ तेरी है

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——-

तेरे चेहरे को कभी भुला नहीं सकता,
तेरी यादों को कभी दबा नहीं सकता !
आखिर में मेरी जान चली जायेगी,
मगर दिल में किसी और को बसा नहीं सकता !

‘विजय भल्ला’

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