ढूंढे कहाँ तूं जग में ढूंढे कहाँ तूं जग में, भगवान बसा कण-कण में, मिथ्या मोह त्याग कर तूं मन में प्रेम रमा ले। तन है माया पर मन पावन, छल है काया पँछी गावन, सोने का पिंजरा तोड़ के, बस्ती चरणों में बसा ले। ढूंढे कहाँ तूं जग में, भगवान बसा कण-कण में, मिथ्या मोह त्याग कर तूं मन ...
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