कुछ इधर की, कुछ उधर की वही कारवाँ, वही रास्ते, वही ज़िन्दगी, वही मरहले, मगर अपने मक़ाम पर, कभी तुम नहीं, कभी हम नहीं। Wohi Kaarwaan, Wohi Raastay, Wohi Zindagi, Wohi Marhalay – Magar Apne Maqaam Par, Kabhi Tum Nah!n, Kabhi Hum Nah!n. – Shakeel Badayuni ——- जो दिल के आईने में हो वो ही प्यार के काबिल है, वरना ...
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