अब किस तरह करें यक़ी बात हम में भी कुछ है कि एक दरिया होकर भी उसने ख़ुद को एक बूँद बताया है हम ने जताए हैं ज़माने से अपने क़िस्से मामूली से एक सितारा फ़लक का हुआ वो और ज़र्रा बताया है कैसे ना कह डाले ज़ुबान से जब रूबरू हो मेरे निगाहे शौक़ से उसने काम बेहतर चलाया ...
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